Sandeep Maheshwari is a name among millions who struggled, failed and surged ahead in search of success, happiness and contentment. Just like any middle class guy, he too had a bunch of unclear dreams and a blurred vision of his goals in life. All he had was an undying learning attitude to hold on to. Rowing through ups and downs, it was time that taught him the true meaning of his life.
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जब मैं मुश्किलों से लड़ातो मरा तो नहीं ,मगर जीत न सका
ना पूछ की मेरी मंज़िल कहाँ हैअभी तो सफर का इरादा किया हैना हारूंगा हौसला चाहे कुछ भी हो जाएये मैंने किसी और से नहींखुद से वादा किया है.संघर्ष की राह पे जो चलता हैवही दुनिया को बदलता है,जिसने अँधेरे से जंग जीती हैसूरज बनकर वही चमकता है.रख हौसला की वो मंज़र भी आएगाप्यासे के पास चलकर खुद समंदर भी आएगा.यूँ ज़मीं पर बैठकर क्यों आसमां देखता हैअपने पंखो को खोल, ये जमाना सिर्फ उड़ान देखता है.भरोसा अगर ईश्वर पर हैतो जो आपकी तकदीर में लिखा है वही पाओगेलेकिन भरोसा अगर खुद पर हैतो ईश्वर भी आपकी तकदीर वैसे ही लिखेगाजैसा की आप चाहोगे।बुझी शमा भी जल सकती हैतूफानों से कश्ती निकल सकती हैहोके मायूस यूँ न अपने इरादे बदलक्यूंकि तेरी किस्मत कभी भी बदल सकती है.बिना संघर्ष के कोई महान नहीं होतापत्थर पर जबतक चोट न पड़े, पत्थर भी भगवान नहीं होता।थककर न बैठ ए मंज़िल के मुसाफिरएक दिन ऐसा भी आएगा जब मंज़िल भी मिलेगीऔर जीने का मज़ा भी आएगा।कुछ किए बिना ही जय-जयकार नहीं होतीकोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।जीत की खातिर दिल में जूनून चाहिएजिसमे उबाल हो ऐसा खून चाहिए,ये आसमां भी आएगा ज़मीं परबीएस इरादों दे दम चाहिए।कोशिश के बावजूद भी, हो जाती है कभी हारहोकर निराश तू, मत बैठ मेरे यारबढ़ते रहना आगे चाहे जैसा भी हो मौसमपा लेती है चींटी भी मंज़िल गिर-गिरकर बार-बार.इंकार किया है जिन्होंने मुझे मेरा समय देखकरवादा है मेराऐसा भी समय लाऊंगा एक दिनकि मिलना पड़ेगा उनको मुझसे मेरा समय लेकर।मैदान में हारा हुआ इंसान भी से जीत सकता हैलेकिन मन से हारा हुआ इंसान कभी नहीं जीत सकता।हीरे को परखना है तो अँधेरे का इन्तेजार करधूप में तो काँच के टुकड़े भी चमकने लगते हैं.बाप की दौलत पर क्या घमंड करनामज़ा तो तब है,जब दौलत आपकी हो और बाप घमंड करे।चाहे मुश्किल कितनी भी बड़ी होआज नहीं तो कल हल जरूर निकलेगाज़मीन बंजर भी हो तो क्याअगर हार न मानी जाए तो पानी जरूर निकलेगा।कह दो मुश्किलों को थोड़ा सा और कठिन हो जाएकह दो चुनौतियों को थोड़ी और बड़ी हो जाएअरे नापना चाहते हो हमारी हिम्मत तोकह दो आसमान को थोड़ा सा और ऊपर हो जाए।निगाहों में मंज़िल थीगिरे और गिर के सम्भलते गएहवाओं ने बहुत कोशिश करीलेकिन चिराग आँधियों में भी जलते रहे।
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